Saturday, May 23, 2009

तड़पूंगा उम्र भर दिल-ए-मरहूम के लिए
कम्बख्त नामुराद लड़कपन का यार था
- बेखुद देहलवी
बराये नाम सही कोई मेहरबान तो है
हमारे सर पे भी होने को आसमान तो है
- अकील शादाब
इस तरह सताया है परेशान किया है
गोया कि मुहब्बत नहीं अहसान किया है
- अफजल फिरदौस
गम मुझे, हसरत मुझे, वहशत मुझे, सौदा मुझे
एक दिल देके खुदा ने दे दिया क्या क्या मुझे
- सीमाब अकबराबादी
दुश्मन को भी सीने से लगाना नहीं भूले
हम अपने बुजुर्गों का जमाना नहीं भूले
- सागर आजमी

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