Saturday, May 23, 2009

पहलू से दिल को लेके वो कहते हैं नाज से
क्या आएं घर में आप ही जब मेहरबां न हों
- मौलाना मुहम्मद अली जौहर
तुम्हारी बेखुदी ने लाज रख ली वादाखाने की
तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहां जाते
- शकील बदायूंनी
ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा
मैं सजदे में नहीं था आपको धोखा हुआ होगा
- दुष्यंतकुमार
अक्ल पे हम को नाज बहुत था लेकिन ये कब सोचा था
इश्क के हाथों ये भी होगा लोग हमें समझायेंगे
- अहमद हमदानी
ऐसे मौसम भी गुजारे हम ने
सुबहें जब अपनी थीं शामें उसकी
- परवीन शाकिर

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