Saturday, May 23, 2009



कैसे कह दूं कि मुलाकात नहीं होती है
रोज मिलते हैं मगर बात नहीं होती है
- शकील बदायूंनी
ये आरजू ही रही कोई आरजू करते
खुद अपनी आग में जलते जिगर लहू करते
- हिमायत अली शायर
ये शबे फिराक ये बेबसी, हैं कदम-कदम पे उदासियां
मेरा साथ कोई न दे सका, मेरी हसरतें हैं धुआं-धुआं
- हसन रिजवी
हमको तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया
रोने वाले तुझे किस बात पे रोना आया
- सैफुद्दीन सैफ
हर शम्आ बुझी रफ्ता रफ्ता हर ख्वाब लुटा धीरे - धीरे
शीशा न सही पत्थर भी न था दिल टूट गया धीरे - धीरे
- कैसर उल जाफरी

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