Monday, June 8, 2009

ख़ुदा करे कि क़यामत हो और तू आए

हम इन्तेज़ार करेंगे तेरा क़यामत तक
ख़ुदा करे कि क़यामत हो और तू आए
यह इन्तेज़ार भी एक इम्तेहान होता है
इसी से इश्क का शोला जवान होता है

यह इन्तेज़ार सलामत हो और तू आए
बिछाए शौक़ के सजदे वफ़ा की राहों में

खड़े हैं दीद की हसरत लिए निगाहों में
कुबूल दिल की इबादत हो और तू आए

वो ख़ुशनसीब हो जिसको तू इन्तेख़ाब करे
ख़ुदा हमारी मौहब्बत को कामयाब करे

जवाँ सितार-ए-क़िस्मत हो और तू आए
ख़ुदा करे कि क़यामत हो और तू आए

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